खुल के हँसता हूँ और न रोता हूँ
जब कभी मैं उदास होता हूँ
अब तुम्हें याद ही नहीं करना
रोज ये खुद से कह के सोता हूँ
~ अमन चाँदपुरी
जब कभी मैं उदास होता हूँ
अब तुम्हें याद ही नहीं करना
रोज ये खुद से कह के सोता हूँ
~ अमन चाँदपुरी
चेहरा-पुस्तक पर हम दिन भर ड्यूटी करते हैं।। मोबाइल को लिए हाथ में आँखें मींच रहे। नोटिफिकेशन की फुलवारी को फिर सींच रहे। च...
बढ़िया मुक्तक।
ReplyDeleteजब कभी मैं उदास होता हूँ
खुल के हँसता हूँ और न रोता हूँ
अब तुम्हें याद ही नहीं करना
रोज ये खुद से कह के सोता हूँ
धन्यवाद सर
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